By Shivakant Shukla Last Updated:
विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) मोस्ट पॉपुलर भारतीय महिला पहलवानों में से एक हैं और वह अपनी शानदार प्रतिभा से देश को गौरवान्वित कर रही हैं। हालांकि, घटनाओं के एक चौंकाने वाले मोड़ में विनेश को 2024 पेरिस ओलंपिक में महिलाओं की 50 किलोग्राम कुश्ती फाइनल से केवल 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। यह विनेश के लिए एक बड़ा झटका था, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय खेल में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए कड़ी मेहनत की थी। बहुत अपील और टेस्ट के बाद वह रजत या कांस्य पदक जीतने में भी फेल रहीं और 17 अगस्त 2024 को भारत लौट आईं।
भारत लौटने पर विनेश फोगाट को लोगों का जबरदस्त समर्थन मिला। 2024 पेरिस ओलंपिक में अयोग्यता के बावजूद पहलवान अपने समर्पित फैंस को देखकर भावुक हो गईं। उनके अटूट प्रोत्साहन और मिले गर्मजोशी भरे स्वागत ने विनेश को निराशा से उबरने में मदद की। जब वह भीड़ के बीच से निकल रही थीं, तो उन्हें फूलों की माला और पैसे देकर सम्मानित किया गया, जो खेल समुदाय में एकता और प्रोत्साहन का प्रमाण है।
विनेश के भाई और परिवार के अन्य सदस्य उन्हें लेने के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद थे। 2024 ओलंपिक में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद विनेश के भारत लौटने के बारे में मीडिया से बात करते हुए उनके भाई हरविंदर फोगाट ने कहा, “विनेश देश लौट रही हैं। लोग उनका स्वागत करने के लिए यहां (दिल्ली) एयरपोर्ट पर आए हैं। लोग हमारे गांव में भी उनका स्वागत करने के लिए इंतजार कर रहे हैं। लोग विनेश से मिलने और उनका हौसला बढ़ाने के लिए उत्साहित हैं।”
न केवल फैंस और परिवार बल्कि साथी पहलवान भी विनेश को एयरपोर्ट पर लेने आए थे। बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक ने उन्हें गले लगाया और यहां तक कि बजरंग ने विनेश को अपने कंधों पर उठाकर उनका उत्साहवर्धन भी किया। साक्षी और बजरंग लगातार विनेश के आंसू पोंछते रहे, उन्हें बेहतर महसूस कराने की पूरी कोशिश की और नतीजों को छोड़कर उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाया।
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विनेश फोगाट का कभी हार न मानने वाला रवैया 2024 ओलंपिक में उनकी यात्रा के पीछे प्रेरक शक्ति रहा है। मात्र 100 ग्राम वजन के कारण उन्हें स्वर्ण पदक से हाथ धोना पड़ा, लेकिन पहलवान के हार न मानने के जज्बे ने उनका हौसला बनाए रखा। 6 अगस्त 2024 की रात के बाद अपनी लड़ाई को याद करते हुए विनेश ने बताया था कि उन्होंने और उनकी टीम ने अपना बेस्ट दिया। हालांकि, समय सही नहीं था और न ही उनकी किस्मत ने साथ दिया। विनेश के शब्दों में, "मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि हमने हार नहीं मानी, हमारे प्रयास बंद नहीं हुए और हमने हार नहीं मानी, लेकिन घड़ी रुक गई और समय ने साथ नहीं दिया। मेरी किस्मत भी ऐसी ही थी।"
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फिलहाल, विनेश फोगाट हमारी विनर हैं, चाहे पदक के साथ हों या बिना पदक के। तो आपका इस बारे में क्या कहना है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।