By Shalini Bajpai Last Updated:
शादी, किसी भी व्यक्ति के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। भारतीय समाज में शादी तय होने से लेकर विदाई तक, कई प्रकार की रस्में होती हैं। कुछ रस्में तो सालों से चली आ रही हैं और हम बिना सोचे-समझे उन्हें निभाते भी हैं। खासकर, इस समाज में दुल्हन के लिए कई प्रकार के बंधन होते हैं। दुल्हन को क्या करना चाहिए, क्या नहीं? इसकी लंबी सूची सभी के पास तैयार रहती है। समाज नियम और कानून बनाने की कोशिश करता है, ताकि हर कोई एक जैसा काम करे। कोई भी उन अनावश्यक विचारों के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करता है। लेकिन, यहां हम आपको कुछ ऐसी बहादुर दुल्हनों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने समाज की रूढ़ियों को तोड़कर अपनी खुशी को ज्यादा महत्व दिया था।
पुराने रिवाजों के अनुसार, दूल्हा बारात लेकर आता है और दुल्हन अपने होने वाले पति की प्रतीक्षा करती है। लेकिन, पेनी नाम की इस दुल्हन ने अपनी शादी की जिम्मेदारी खुद संभाली थी। उन्होंने शैंपेन रंग का लहंगा और एक लंबे कोट वाली चोली पहनी थी। इस ड्रेस में पेनी बिल्कुल गुड़िया की तरह दिख रही थीं। इसके साथ ही, उन्होंने हाथों में चूड़ा पहना था। घोड़ी पर सवार होकर पेनी ने अपनी बारात निकाली थी। घोड़ी पर बैठी यह दुल्हन किसी रॉकस्टार से कम नहीं लग रही थीं।
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हिंदू धर्म में बेटी की शादी में 'कन्यादान' की रस्म को बहुत जरूरी माना जाता है। इसमें पिता अपनी बेटी का हाथ उसके होने वाले पति को दे देता है। लेकिन, इस बंगाली दुल्हन ने 'कन्यादान' की रस्म न करने का फैसला किया। दुल्हन ने बंगाली पुजारियों के एक समूह के साथ अपनी शादी का आयोजन किया था। उन पुजारियों ने मंत्रों के जरिए उनकी शादी करवाई, लेकिन 'कन्यादान' नहीं करवाया था। यही नहीं, शादी के दौरान दुल्हन को उनके पिता के नाम के बजाय उनकी मां के नाम से परिचित करवाया गया था।
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हमारे समाज में दुल्हन से यह उम्मीद की जाती है कि, वह मंडप में प्रवेश करते समय सिर झुकाकर आए। वह शर्मीली और शांत दिखे। लेकिन समय बदल रहा है और इसके साथ लड़कियों की सोच में भी बदलाव आ रहे हैं। आधुनिक दुल्हनें नाचते हुए या मोटरसाइकिल चलाते हुए मंडप में एंट्री करती हैं। इसी तरह, फोटो में दिख रही इस दुल्हन ने अपनी शादी में शैंपेन की बोतल के साथ मस्ती करते हुए मंडप में एंट्री किया था। ये दुल्हनें, समाज में बहुओं को लेकर बनी शांत, सुशील होने की धारणा को तोड़कर आने वाली पीढ़ी को प्रेरित कर रही हैं।
सहला एक ऐसे समुदाय से आती हैं, जहां लड़कियों की शादी 16 साल की उम्र में ही कर दी जाती है। लेकिन, उन्होंने 23 साल की उम्र तक अपना समय लिया और अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्होंने अपनी शादी में 'मेहर' के रूप में 50 किताबें मांगकर सबको हैरान कर दिया। मुस्लिम समुदाय में 'मेहर' एक रस्म है, जहां दुल्हन कुछ भी मांग सकती है और उसे वही उपहार दिया जाता है। आमतौर पर दुल्हनें 'मेहर' के रूप में कुछ रकम तय करती हैं, लेकिन सहला ने किताबें मांगी, जो कि समाज में बदलाव का प्रतीक है। यही नहीं, उनके पति उन किताबों को लाने के लिए बैंगलोर गए थे।
'कनकंजलि' मुख्य रूप से बंगाली शादी की एक रस्म है। जिसमें विदाई के दौरान, दुल्हन को अपनी मां की झोली में चावल फेंकना होता है और कहना पड़ता है कि, 'मैंने तुम्हारे सारे कर्ज चुका दिए'। लेकिन, इस बहादुर दुल्हन ने ये रस्म निभाने से मना कर दिया और कहा,'' कोई भी अपने माता-पिता का कर्ज नहीं चुका सकता''। निश्चित ही इस दुल्हन को देखकर आगे आने वाली पीढ़ी भी ऐसी रस्मों का विरोध करना सीखेंगी।
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एसिड अटैक से पीड़ित ललिता बेन बंसी ने अपनी जिंदगी को कभी रुकने नहीं दिया और न ही वह कभी निराश हुईं। उन्होंने अपने सपनों के राजकुमार के साथ शादी रचाई और हर वो चीज की, जो उन्होंने पहले से सोची थी। लाल रंग के वेडिंग आउटफिट और ज्वेलरी सेट में ललिता किसी खूबसूरत दुल्हन से कम नहीं लग रही थीं।
शादी के दिन दुल्हन को तैयार करना बहुत बड़ा काम माना जाता है। दुल्हन को सजाने के लिए तरह-तरह के प्रोडक्ट लगाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि, हैवी मेकअप के बिना दुल्हन सुंदर नहीं लग सकती। लेकिन, अवंतिका नाम की इस दुल्हन ने अपनी शादी में बहुत हल्का मेकअप किया था। अवंतिका ने लाइनर और लिप ग्लॉस के अलावा किसी भी भारी फाउंडेशन का प्रयोग नहीं किया था, फिर भी वह कमाल की दिख रही थीं। अवंतिका के इस कदम ने लोगों की ये धारणा तोड़ने का काम किया था कि, बिना हैवी मेकअप के दुल्हन सुंदर नहीं लग सकती।
शादी का नाम सुनते ही दिमाग में भव्य उपहार, सोने-चांदी के आभूषण और कई अन्य चीजें आ जाती हैं। सभी गेस्ट दुल्हन के लिए गिफ्ट लेकर आते हैं। लेकिन, मध्य प्रदेश की दुल्हन प्रियंका बडोरिया ने साड़ियों और ज्वेलरी के बाद तोहफे में पौधों को मांगा था। जब प्रियंका की भाभी ने पूछा कि, उन्हें शादी के तोहफे में क्या चाहिए? तो प्रियंका ने उनसे तोहफे के तौर पर 10,000 पौधे मांगे थे। प्रियंका के पति ने भी उनकी इस भावना का सम्मान किया, जिसके बाद इस जोड़े ने प्रकृति की छांव में शादी की थी।
जब हरनूर ग्रेवाल की मां ने अपनी बेटी के लिए 'पल्ला' (कन्यादान का एक संस्करण है, जो पिता द्वारा किया जाता है) किया था, तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनकी बहुत सराहना की गई थी। सालों पहले, पति के छोड़ जाने के बाद हरनूर की मां ने अकेले ही अपने परिवार का पालन-पोषण किया था। इसलिए जब बेटी की शादी में 'पल्ला' की रस्म निभाने के लिए पिता को बुलाया गया, तो दुल्हन की मां ने ही इस अनुष्ठान को संपन्न कराया था। उन्होंने समाज के बारे में सोचे बिना अपना फर्ज निभाया था।
दीपा खोसला पेशे से एक ब्लॉगर हैं। जब शादी की एक रस्म के दौरान दीपा से अपने पति के पैर छूने के लिए कहा गया था, तो दीपा ने कहा था, जब पति उनके पैर छुएंगे तभी वो पति के पैर छुएंगी। दीपा ने ऐसा इसलिए कहा था, क्योंकि वह समानता पर विश्वास करती हैं। वो मानती हैं कि, स्त्री और पुरुष दोनों समान हैं। पति को उच्च दर्जा और पत्नी को निम्न दर्जा देना न्यायपूर्ण नहीं है।
तो ये थी वे दुल्हनें, जिन्होंने समाज के सामने झुकना स्वीकार नहीं किया था और बेबुनियाद रीति-रिवाजों को मानने से इंकार कर दिया था। आप कमेंट कर हमें बताएं कि, आपका इस संबंध में क्या मानना है? और आपको इनमें से सबसे ज्यादा चंचल दुल्हन कौन सी लगी?